gaureesh yagya

पूजन सामग्री पर चर्चा क्यों जरूरी है क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य से संबंधित है आज सभी लोगों को जानकारी होना चाहिए

यह स्वास्थ एवम पर्यावरण से संबंधित होने से अत्यंत आवश्यक है
हमें विचार करना चाहिए और अपने आप से सवाल पूछना चाहिए जिससे हमारी जीवन जीने की पद्धति सनातन सभ्यता
संस्कृति
परंपरा में सुधार हो वैज्ञानिकता दिखे।

पूजा पाठ की बात होते ही प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक पवित्रता
शुद्धता सफाई सकारात्मकता
समर्पण आस्था का भाव उत्पन्न होता है भगवान के प्रति श्रेष्ठ समर्पण और प्रकृति के प्रति क्रताघनता का भाव उत्पन्न होता है । पर आज नई पीढ़ी के मन में अनेक प्रश्न उत्पन्न होते रहते है
वे प्रत्यक्ष रूप से सब तरफ गंदगी कचरा केमिकल अव्यवस्था प्रदुषण महसूस कर रहे है साथ ही घबरा कर परेशान होकर उनके
मन मस्तिष्क में सवाल उठता है, कि हम पूजा पाठ करके क्या प्राप्त करेंगे
क्यों हमें करना चाहिए क्या हम पूजा पाठ करके रिलैक्स होंगे ? इसके उत्तर में आज अनेकों प्रकार की अव्यवस्थाओं को देखकर गंदगी अशुद्धता पाकर वह विचलित हो रहे हैं।

हमने पूजन सामग्री पर रिसर्च किया अनेक व्यक्तियों से बात की पंडितों से जानकारी ली अनेक शहरों में बाजार दुकानदार से बातचीत की
पूजन सामग्री के बारे में यह जानने की कोशिश की कि यह कहां पैदा होती है इसमें कौन ट्रेडर हैं थोक व्यापारीयो से दुकानदारों तक कैसे पहुंचती है और अन्तिम उपयोगकर्ता यजमान तक पहुंच कर कैसे उपयोग होती है। हमारे मन में अनेक प्रश्न सवाल जवाब उठे उनमें से कुछ पर चर्चा करेंगे।

सबसे पहले पहले हमने पाया की पूजन सामग्रियों का उपयोग हर धर्म का व्यक्ति किसी न किसी रूप में करता है या वह कभी ना कभी उसके संपर्क में आता ही है।
दूसरा अत्यंत महत्वपूर्ण बात जो सामने आई वह इस सामग्रियों की उपयोगिता से संबंधित है
अच्छी सामग्रियों के द्वारा अच्छा वातावरण पर्यावरण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सभी को प्राप्त होता है

मतलब पूजा पाठ फलदाई होती है।
हमें मार्केट सर्वे करने पर बाजार से अनेक जानकारियां प्राप्त हुई जिसे जजमान और पंडित जी दोनों को जानना आवश्यक है
इस पूजा-पाठ की सामग्री के व्यापार में अधिकतर बनवासी ग्रामवासी व्यक्ति जो हिंदू हैं वह जंगल से लाते हैं या अपने खेत में ऊगाते हैं या गांव के आसपास से प्राप्त कर इकट्ठा कर बाजार में बेचते हैं।
अब इसके आगे इस व्यापार में अधिकतम व्यवसाई जो 80% हैं मुस्लिम एवं बोहरा समाज के हैं जो ट्रेडर और मैन्युफैक्चरर्स हैं 10% सिंधी व्यापारी हैं बाकी 10% में अन्य सभी लोग हैं।
इसमें रिटेलर एवं उपयोगकर्ता अधिकतर हिंदू हैं।
अधिकतम पूजन सामाग्रीयो के नाम हिन्दू है क्यों कि अधिक खरीददार हिंदू ही है ।

मुखायतः

सभी धर्मों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण यह है की सामग्रियां असली शुद्ध एवं साफ-सुथरी होना तभी तो वे असरकारक होंगी जबकि ऐसा नहीं था फैक्ट्रियां जो यह सामान का उत्पादन पैकिंग करती हैं वहां पर वर्कर के रूप में महिलाएं अधिक काम करती हुई मिली जो स्वयं ही साफ-सुथरी नहीं थी महावारी मैं भी वह कार्य कर रही थी मटेरियल केमिकल और कूड़ा करकट युक्त था असली क्या है यह खोज का विषय था। सिर्फ पैकिंग ही अट्रैक्टिव और सुंदर थी।
उनके नाम भगवान के नाम पर थे।
हमने विचार किया की क्या हमारा समाज सो रहा है पंडित जी क्यों चुप हैं वह बोलते नहीं आस्था के नाम पर इतनी मिलावट गिरावट आ गई है वह भी भगवान के नाम पर हम कहां से कहां आ गए यह प्रोग्रेस है या पतन।

बाजार में अधिकतर दुकानदारों के यहां लिखा पाया कि यह सामान सिर्फ पूजा के उपयोग के लिए है अन्य उपयोग में ना लाएं नॉट ईडेबल ऐसी सामग्रियों के समर्पण से ना तो देव प्रसन्न होंगे ना ही हमें कुछ मिलेगा इन सामग्रियों के उपयोग का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा अध्यात्म पूजा पाठ का संबंध मन आत्मा पर होता है क्योंकि यह एकाग्रता ध्यान मेडिटेशन का माध्यम है।
अनेक दुकानदारों ने यह भी जवाब दिया कि हमें धर्म और आस्था से कोई लेना देना नहीं है जो है वह आपके सामने हैं लेना हो तो लो वरना छोड़ जाओ।

हमारे पूर्वज बचपन में यह सिखाते थे कि गलत करने पर पाप लगेगा कहीं गलत का संबंध स्वास्थ्य के नुकसान से तो नहीं है ।

ऐसी गलत सामग्रियां अगर कोई भी उपयोग करेगा तो बीमारियां उसके घर में होंगी जिसका कारण ना आपको मालूम पड़ेगा ना ही आपके डॉक्टर को
और पंडित जी ऐसे सामान के प्रयोग से बीमार पढ़ेंगे क्योंकि वह दिन में दो बार किसी न किसी जगह पूजन करवाने जाते हैं। यह क्या हो रहा है वह भी भगवान के नाम पर सभी जगह नकली कचरा युक्त केमिकल युक्त सामग्रियां मिल रही हैं अधितर दुकानों पर तेल निकली जड़ी बूटियां मिली जो वेस्ट मटेरियल था मतलब फेंकने वाला , ऐसी सामग्रियो से क्या प्राप्त होगा दुकानदार से खरीददार तक सभी लोग बीमारियों से बेखबर हैं धर्म के नाम पर ही अधर्म हो रहा है।
आज पूरे विश्व में पर्यावरण की स्थिति हमारे देश की चिंता जनक है विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रदूषण के नाम पर इमरजेंसी घोषित कर चुका है। हमारे देश में प्रदूषण बढ़ रहा है वनस्पतियां कम हो रही है साथ ही गलत सामग्रियों के उपयोग से हम घर के अंदर भी प्रदूषण फैला रहे हैं पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ मानसिक प्रदूषण भी फैल रहा है। इसलिए
हवन – पूजन सामग्री में सावधानी जरुरी है।

हवन और यज्ञ का महत्व सभी जानते हैं l आध्यात्मिक, घर – परिवार, धन, सुख व स्वास्थ्य लाभ के लिए जप व हवन आदि करते रहते हैं।
हवन के बाद साँस में तकलीफ, आंख में तकलीफ और त्वचा रोग भी हो रहे हैं। ऐसा बाज़ार में बिक रही नकली हवन और पूजन सामग्री के कारण भी हो रहा है। हवन में कई सामग्रियां स्वयं हवनकर्ता को जुटानी पड़ती हैं। पहले लोग हवन सामग्री जंगल, बाग़ – बगीचों व अपने गाँव से ही एकत्र करते थे पर अब इस शहरी युग में हर चीज़ मिलने का एक स्थान बाज़ार ही है।
बाजार में मिलने वाले अधिकांश हवन सामग्री पैकेटों में लकड़ी का बुरादा, झाड़ू का बुरादा, कागज और कूड़ा – करकट की मात्रा अधिक मिलेगी। साथ ही गाजर घास के अंश जो सब जगह आसानी से मिल जाती है और टीबी ,दमा खांसी,नेत्र रोगों, एलर्जी, को जन्म देती है। ऐसी हवन सामग्री से हवन कर क्या लाभ होगा। आपकी श्रद्धा से जब आप कुड़े से हवन करेंगे और देवता कूड़ा ग्रहण करेंगे तो प्रतिफल क्या होगा आप खुद समझ सकते हैं। ऐसे में लोग भारतीय पूजा पद्धति मंत्र, तंत्र, यंत्र ,ज्योतिष सब पर प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं। इसी तरह अच्छा घी 800 रुपए किलो से उपर बिक रहा है वहीँ बाजार में हवन के लिए घी चाहिए तुरंत दुकानदार 150₹- 200 रुपए किलो का पेकेट दिखा देगा। उसपर कहीं न कहीं लिखा मिल जायेगा की “नोट फॉर इंटरनल यूज़ या ह्यूमन यूज़ या नॉन एडिबल।” क्योंकि उनमे पेट्रोलियम जेली और पशुओं की चर्बी होती है घी की बस खुशबु होती है। अब ऐसे घी से हवन कर आप क्या लाभ लेंगे? हवन का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है गुग्गुल। शुद्ध गुग्गुल क्वालिटी अनुसार 3500 रूपये प्रति किलो तक मिलता है वहीं आज अधिकतर पंसारियों के पास 700 से 1000 रूपये किलो में मिल रहा है। मुनाफाखोर बड़ी मात्रा में नकली गूगल तैयार करवाते हैं। इसके लिए विदेशों से मिलने वाले रेजिन नामक केमिकल रसायन का उपयोग किया जाता है। इस केमिकल में समुद्र की गरम रेत, रंग और खुशबू मिलाते हैं। इसे मशीन से टुकड़ों में तोड़ा जाता है। जब हवनकुंड में इसे डाला जाता है तो केमिकल चूंकि ज्वलनशील होता है तो वो जल जाता है और रेत व अन्य चीजें बाकी सामग्रियों के साथ मिल जाती हैं। यही वजह है कि हवन के दौरान गुग्गुल की जो ह्रदय तृप्त करने वाली विशेष सुगंध वाला धुआं आना चाहिए, वैसा नहीं आता, बल्कि इससे छींक, सिर चकराना, चक्कर आना जैसी शिकायतें हो जाती हैं।
अगर बत्ती और धुप बत्ती का मुद्दा तो पुराना हो गया है। अगरबत्ती में जहाँ खुशबूदार बुरादा बांस की डंडी में चिपका होता है वहीँ धूप बत्ती में मोबिल आयल का कचरा, नकली तेलों के ड्रमों के पेंदे में जमा गंदगी और खुशबु दर बुरादा रहता है। ऐसी चीजों की खुशबु से देवता प्रसन्न नहीं होंगे।इसके अलावा धार यानि सूखे फलों के चूर्ण के नाम पर सड़े सूखे फलों का चूर्ण मिलता है । अशुद्ध हवन सामग्री एवं अनुचित मात्रा सर्वथा त्याज्य है।
वहीँ अब रेडीमेड पैकेट आ रहे हैं ऐसी मान्यता है की ये मात्रा सही न होने पर यज्ञ करने वाला और यजमान दोनों ही गंभीर रोगों के शिकार बनते हैं। शहद में शीरा मिला होता है। चन्दन की लकड़ी और बुरादे के नाम पर नकली एसेंस डाल कर चन्दन के साथ भिगो कर लकड़ियाँ बिकती हैं । अब किसमे कितना और क्या होगा भगवान ही जाने? कपूर की आजकल टिक्की मिलती है वह आरती ख़तम दीपक शांत पर टिक्की सलामत बची रहती है। असली कपूर की पहचान ही यही थी कि खुला रखा हो तो हवा में उड़ जायेगा और जलेगा तो जलने के बाद कुछ शेष नहीं बचता था। वो कपूर लोग सर में लगाते थे , पेट ठीक ने होने पर एक चुटकी फांक लेते थे ,दांत दर्द में दांत के निचे दबाते थे। पर इस पैकेट वाले कपूर में लिखा होता है “नॉन एडिबल या नॉट फॉर इंटरनल यूज़। केसर की मिलावट के बारे में तो जितना कहें कम है। रोली भी सिंथेटिक आ रही है रंग मिली और सिंदूर भी। आज सुबह तिलक करो तो परसों तक माथे पे निशान बना रहे ऐसी। इतनी पक्की।कलावा भी कच्चे सूत की जगह सिंथेटिक धागे और पक्के सूत का आने लगा है। कमलगट्टा जैसी चीज़ भी अब नकली आने लगी है तो लक्ष्मी माता कहाँ से प्रसन्न हों।
जटामांसी भी नकली आती है उसके जैसी दिखने वाली अन्यथा किसी भी पौधे के चूर्ण में एसेंस डालकर जटामांसी चूर्ण के नाम पर बिकता है।तिल का तेल और हल्दी भी मिलावट युक्त आ रही है । अतः आपसे अनुरोध है की किसी भी प्रकार की पूजन और हवन सामग्री किसी भरोसे के स्थान से खरीदें या स्वयं एकत्र करें। ये महंगी अवश्य होगी पर इसके इस्तेमाल के बाद आपको इनका असर भी नज़र आयेगा। अन्यथा नकली कूड़ा करकट केमिकल एसेंस मिली पूजन हवं सामग्री के इस्तेमाल से न सिर्फ आपके धन का नुकसान होगा बल्कि आपकी श्रद्धा और विश्वास को चोट लगेगी।

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पर्यवरण प्रदूषण को हटाने में सहायक है धूप यज्ञ हवन

वायु अमृत्व की निधि है वह हमें जीवन देती है ऑक्सीजन देती है लेकिन बदलती हुई जीवनशैली ने हमारी पारंपरिक मान्यताओं से खिलवाड़ किया मानव प्रदूषण ही हमारे लिए तरक्की का पर्याय बन गया पिछले कुछ सालों से हम अपने स्वभाव से ही नहीं अपने व्यवहार से भी प्रकृति में जहर घोलने के आदि हो चुके हैं प्रदूषण की भयावहता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु प्रदूषण को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी अर्थात जन स्वास्थ्य के लिए आपातकाल कहता है लंदन के किंग्स कॉलेज के एक अध्ययन में पाया गया की वायु प्रदूषण युवाओं में कई मनोविकृति यों को जन्म देता है सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि वायु प्रदूषण शरीर के हर अंग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है वायु प्रदूषण के कारण व्यक्ति में तनाव पैदा करने वाले हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है और वह अस्वाद का शिकार हो जाता है बुजुर्गों में समझने की क्षमता में गिरावट संबंधी डिमेंशिया रोग हो जाता है अनेक प्रकार की मानसिक बीमारियां जो जल्दी से नहीं दिखती हैं
अधिकतर लोगों में हो जाती हैं
कीटनाशकों के संपर्क में रहने से कैंसर अल्जाइमर पार्किंसन हार्मोन असंतुलन विकास विकास संबंधी बीमारी और बांझपन की समस्या हो सकती है एक अनुमान के अनुसार विषाक्त प्रदूषण सामायिक मृत्यु का बड़ा कारण है इसके अलावा कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से भूमि भूगर्भ जल एवं भोजन की पोषण क्षमता में अत्यधिक कमी हो जाती है ज्यादातर बीमारियों का संबंध बाजार के खाद्य उद्योग के अस्वास्थ्य कर आहार से जुड़ा पाया गया है
विदेशी कंपनियों द्वारा जीएम बीजों की बमबारी से रसायन प्रदूषण को अत्याधिक बढ़ा दिया है
खाद्य आपूर्ति पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है जिससे संक्रामक बीमारियों का कारण उत्पन्न हो गया है एक सर्वेक्षण के मुताबिक भूमि में सल्फर नाइट्रोजन व अन्य पोषक तत्वों की कमी आई है भूमि बंजर हो रही है
पर्यावरण के परिवर्तनों के कारण ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज ने अनेक बीमारियों को जन्म दिया है लोगों के सामने आजीविका के साथ ही अपने अस्तित्व को बचाने का संकट खड़ा हो गया है इसलिए खुद को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ों लोग अपना आशियाना छोड़ चुके हैं यानी विस्थापित हो चुके जिससे शहरों पर भार बढ़ गया है। प्रदूषण से कई समस्याओं से धिर गया जनसंख्या प्रदूषण विस्फोटक स्थिति में आ चुका है विश्व के 20 में से 15 शहर हमारे देश के अत्याधिक प्रदूषित शहरों में हैं हम कहां खड़े हैं?
प्रदूषणो का जंजाल पैरानॉर्मल प्रॉब्लम बनता जा रहा है जो समझ में ही नहीं आ रहा है
प्रकृति के साहचर्य में ही हमारी संस्कृति है यज्ञो के देश में पर्यावरण शुद्ध करने के लिए यज्ञ की ओर लौटे।

Pooja path Dhup Yagya havan samagri questions to yourself

उपरोक्त उपयोग की जाने वाली जड़ी बूटियां किन गुणों से संबंधित है
सवाल करें अपने आप से
उद्देश्य पर विचार अवश्य करे
ईश्वर से कनेक्ट करने वाला माध्यम स्वयं से स्वयं का कनेक्शन करवानै बांधने वाला माध्यम
यह शुभकामनाओं प्रसन्नता प्रफुल्लता उत्साह उमंग उर्जा समृद्धि वह ओज तेज पवित्रता शक्ति संपन्नता सकारात्मकता दृढ़ता चेतनयता संबल सफलता
लोक कल्याण जैसे शब्दों से संबंधित है
प्रकृति से कैसे जुड़े प्राकृतिक हल कैसे ढूंढे प्रकृति पोषक तत्त्व माध्यम से प्रकृति पोषक तत्त्वों द्वारा
सवाल ये उठता है की के जड़ी बूटियां पूजा पाठ धूप यज्ञ हवन में उपयोग की जाती है उसका उद्देश्य क्या है क्यों है वह क्यों हमारे जीवन पर्यावरण से जुड़ी है
सबसे पहली बात क्या यह हमारे स्वास्थ्य से संबंधित है
क्या यह वातावरण से संबंधित है वातावरण में व्याप्त हानिकारक वायरस कीटाणु फंगस बैक्टीरिया से संबंधित है क्या यह रोग प्रतिरोधी क्षमता हमारी प्रतिरक्षा क्षमता से संबंधित है क्या यह हमारे बुद्धि विकास से संबंधित है
क्या यह सुगंध चिकित्सा से संबंधित है
क्या यहां पर्यावरण में व्याप्त हानिकारक गैसों की निष्क्रियता से संबंधित है एवं पर्यावरणीय प्रभाव से मनुष्य में देवत्व कल्पना से संबंधित है
क्या यह हमारे मानसिक व शारीरिक दोनों से विपरीत प्रभाव रोगाणु विषाणु के दानों को हटाने से संबंधित है क्या यह पंचभूत हवा पानी भोजन भूमि आकाश की शुद्धता से संबंधित है
क्या यह मेटाबॉलिज्म ऑक्सीजन बायोडायवर्सिटी से संबंधित है
क्या यह पूजा पाठ 16 संस्कार का सशक्त अनिवार्य अभिन्न माध्यम है क्या यह ग्रह नक्षत्र देवी देवता प्रतिनिधित्व प्रसन्नता से संबंधित है
क्या यार डर भय अस्वाद बाधा तनाव नकारात्मकता जादू टोना ग्रह दोष पित्र दोष वास्तु दोष नजर दोष कालसर्प दोष की रक्षा से संबंधित है
क्या यह कार्य सिद्धि विजय प्राप्ति संकल्प सिद्धि बुद्धि विकास मानसिक शारीरिक बीमारियों का इलाज से संबंधित है
क्या यह सकारात्मक शुभता तेजस्विता औरा सप्त चक्र प्राण ऊर्जा ब्रह्म तेज से संबंधित है
यदि हां तो सही सामाग्री उद्देश्य के लिए आवाश्यक है।

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पूजा पाठ धूप हवन यज्ञ पर पंडित जी से चर्चा वा सवाल।

यज्ञीय देश ऐसा कई भारतीय बोलते हैं
यज्ञीय देश यज्ञीय वातावरण
यज्ञ करने वाले अनेक कर्मकांडी पंडितों से साक्षात्कार विद्वानों से पूछे गयै सामान्य प्रश्न

पंडित जी आपने अनेक यज्ञ हवन किए हैं धूप तो आप रोज ही लगाते हैं हानिकारक केमिकल से आप पर क्या असर होता है? धूप यज्ञ हवन सामग्री इसमें आप नीचे क्या जलाते हैं और ऊपर से क्या वनस्पतियां डालते हैं इस संबंध में हम आपसे बात करना चाहते हैं जिसका हमें प्रत्यक्ष अनुभव होता है आप जो नीचे जलाएंगे और ऊपर से वनस्पतियां डालेंगे उसका प्रभाव सर्वप्रथम वहां पर बैठे सभी लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ेगा सामग्री जड़ी बूटियां आप कैसे चयन करते हैं इसमें क्या होना चाहिए यह किस प्रकार असर करती है इसका क्या उद्देश्य है यह हमारा पहला प्रश्न है अधिकतर पंडित जी का जवाब था की सामग्री हम लिख कर देते हैं यजमान लाता है या वह हमें रुपए देते हैं और बाजार से हम रेडीमेड जो मिलती है वह लाते हैं उसी से यज्ञ होता है मैंने कहा अगर सामग्री सही नहीं होगी तो यजमान को नुकसान होगा वहां पर बैठना मुश्किल हो जाएगा सही सामग्री नहीं होने से परिणाम भी प्राप्त नहीं होगा जिस हेतु यज्ञ किया जा रहा है
यज्ञ हवन सामग्री का सही चयन यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है सही सामग्री नहीं होने से अनेक कष्ट होते हैं
पंडित जी से आगे बात करने पर मैंने कहा पंडित जी यजमान तो कभी-कभी ही यज्ञ करवाता है आप तो रोज यज्ञ करवाते होंगे इसका गलत सामग्रियों का प्रभाव आप पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा पड़ेगा गलत सामग्रियों के संपर्क में रहने से आप बीमार पड़ेंगे वातावरण में प्रदूषण उत्पन्न होगा कचरा सामग्री केमिकल युक्त सामग्री से आपका स्वास्थ्य खराब होगा इस बात कै जवाब में पंडित जी ने कहा कि हमें सही सामग्री बाजार में नहीं मिलती है नकली तेल निकली हुई पुरानी जड़ी बूटियां ही मिलती हैं हम क्या करें
मैंने पंडित जी को कहा यह आपके स्वास्थ्य का सवाल है क्योंकि यज्ञ करना और करवाना एक चिकित्सालय खोलने के समान है इससे स्वास्थ्य का संरक्षण और प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होती है शास्त्रों में यज्ञ को हवी भी कहते हैं जिसका अर्थ है विष को हरने वाला
पंडित जी के पास इस प्रश्न के कोई उत्तर नहीं थे
गलत सामग्रियों के प्रयोग से आंखें चलती हैं एलर्जी होती है दम घुटता है प्रदूषण फैलता है सांसों में संक्रमण होता है बेचैनी घबराहट होती है मन नहीं ठहरता ना ही भगवान से कनेक्शन होता है ना ही अपने आप से
भगवान भी कहते होंगे कि यह क्या हो रहा है
मेरा अगला प्रश्न पंडित जी से यह था की आपने अनेक यज्ञ किए और करवाएं कितनी सामग्री क्विंटल से आप होम चुके हैं क्या आपने कभी यज्ञीय वृक्ष लगवाए हैं यह मेरा अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न पंडित जी से था जिसका उत्तर अधिकतर पंडित जी नहीं दे पाए क्योंकि उन्होंने ऐसा कभी प्रयास नहीं किया था
यज्ञिय वृक्ष के प्रश्न पर पंडित जी ने कहा कि यह क्या होता है मैंने कहा पंडित जी जो वनस्पतियां जड़ी बूटियां आप हवन में उपयोग करते हैं वह पेड़ पौधों से ही तो हमें प्राप्त होती हैं उन पेड़ पौधों को हमें लगवाना चाहिए और यह कार्य सतत करते रहना चाहिए जिससे ऐसी वनस्पतियों का अभाव ना हो और वह हमेशा सुगमता से प्राप्त होती रहे ऐसी वनस्पतियां जो रोग नाशक हो ग्रह नक्षत्र देवी देवता से संबंधित हो वायरस कीटाणु फंगस बैक्टीरिया नाशक हो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं जिससे सुगंध चिकित्सा हो जो रोगाणु विषाणु कीटाणुओं को नष्ट करने वाली हो जो पर्यावरण शुद्ध करने वाली हो ऐसी वनस्पतियां हमें लगवाना ही चाहिए यज्ञ का भैषज गुण वातावरण शुद्ध करता है इसी तरह जो वृक्ष यज्ञीय होते हैं उन वृक्षों से वातावरण अनेक प्रकार से शुद्ध होता है इन वृक्षों से छनकर जो हवाएं चलती हैं वह औषधीय गुणों से युक्त होती हैं जो हमारे स्वास्थ्य को उत्तम लाभ देती हैं आज धरती पर ऑक्सीजन की कमी से कई प्रकार की विकृतियां पैदा हो रही है शरीर का मेटाबॉलिज्म डिस्टर्ब हो रहा है मानसिक व्याधियों हो रही हैं पर्यावरण प्रदूषित होने से मनुष्य में मानसिक प्रदूषण बढ़ रहा है जिससे तनाव उत्पन्न हो रहा है सभी आत्म केंद्रित होते जा रहे हैं जबकि मनुष्य का भाग्य उसके वातावरण से जुड़ा है वह न केवल अपना भौतिक आहार बल्कि उससे सामाजिक प्रतिभा सूक्ति और आत्मीय वृद्धि भी प्राप्त करता है पंडित जी हमारे ऋषि-मुनियों ने क्या कहा क्यों धर्म से जोडा पहले साधन कम थे साधक ज्यादा थे अब साधन ज्यादा हैं साधक कम है ऐसा क्यों है? भारत में वैज्ञानिकों को ऋषि कहकर सम्मान देने की प्रथा रही है इतना ही नहीं वैज्ञानिक सिद्धांत का धर्म में इतना समावेश किया गया है कि उसे अलग करके नहीं देखा जा सकता वनों से आरोग्यता बढ़ती है 24 घंटों में मनुष्य 21600 बार सांस लेता है सांस का आवागमन हमेशा चलता रहता है उतनी ही बार रक्त शुद्ध होता है इस कारण योग्य तथा स्वाभाविक सांस चलना अति महत्व का है
पर्यावरण का धर्म रहस्यमयी विज्ञान है
वृक्षा हमारी शारीरिक मानसिक वैचारिकता
को प्रभावित करते हैं वनस्पति जड़ नहीं चेतना वनस्पति आध्यात्मिकता पैदा करती हैं मानवीय स्वास्थ्य हमारी देश की भौतिक तथा मानसिक स्थिति के साथ-साथ ऊर्जाईशविता पर भी निर्भर करता है जब हमारे चारों और का ऊर्जा क्षेत्र श्रेयस सकारात्मक प्रभावशाली होता है तो हम भी पूर्ण उत्साहित उल्लासित तेजस्वित एवं आनंदित रहते हैं इसलिए भूमि को हरा भरा हरिहर हरि मय बनाएं
भारतीय ऋषियों द्वारा स्थापित परंपरा आस्था मान्यता विश्वास संस्कृति पूजा पाठ धूप दीप यज्ञ हवन रहन-सहन खानपान उत्सव त्यौहार मौसम परिवर्तन सनातन सभ्यता अनुरूप बनाए हमारे वातावरण पर्यावरण प्रकृति अनुरूप बनाए जो हमारे जीवन जीने की पद्धति स्वास्थ्य रक्षा बुद्धि विकास और प्रगति के संतुलित उपयोग को ध्यान में रखकर बनाए गए थे
स्वयं से स्वयं को मिलाने वाला स्वास्थ्य संरक्षक माध्यम
इसी तरह का वातावरण यज्ञ में होमी गई शुद्ध वनस्पतियों से भी प्राप्त होता है यज्ञीय देश यज्ञीय वातावरण यज्ञीय वृक्ष वनस्पतियां जड़ी बूटियां उतनी ही आवश्यक है यज्ञ शेष भी इसीलिए अति उत्तम है उपयोगी है हमारे यहां बाग बगीचे लगवाना भी यज्ञ है इसका नाम ईषटापूर्त
यज्ञ है इसमें कुआ तालाब बनवाना भी सम्मिलित है इसी तरह शिव ही प्रकृति है और इसीलिए वृक्षों को पशुपति और पशुओं को प्रजापति कहा गया है गोमेघ यज्ञ से तात्पर्य है की भूमि को उर्वरा बनाकर वनस्पति उगने योग्य बनाना
मनुस्मृति मैं कहा गया है कि यज्ञ के संपर्क में आने से ब्राह्मणतव का उदय होता है क्योंकि यज्ञ की उषमा से व्यक्ति का संपर्क होने पर वह मनोविकार मुक्त होता है मनुष्य विचारशील बनता और चरित्रवान बनता है
अतः यज्ञ हवन सामग्री
हमारे लिए अत्यंत महत्व रखती हैं यह हमारे वैदिक व्यवहार को दर्शाती हैं
हमारी संस्कृति सभ्यता का अर्थ क्या है जीवन की शुद्धि और उससे जुड़ी समृद्धि ऋषियों ने हमें यही सीख दी
यज्ञ हवन सर्व कल्याणकारी है और वृक्षारोपण अत्यंत आवश्यक
विचार अवश्य कीजिएगा।

gaureesh yagya

गलत धूप हवन सामग्री के दुष्परिणाम ।

भारतीय वैज्ञानिक संस्कृति ओर आज का
दुरुपयोग
गलत सामग्रियों से या धूपबत्ती अगरबत्ती से अनेक संकट खड़े होते हैं
इससे कार्बन के ऑक्साइड सल्फर के ऑक्साइड नाइट्रोजन के ऑक्साइड टॉल्युन बेंजीन सिंथेटिक रसायन बनते हैं इसके धुएं से सांद्रता बढ़ती है प्रदूषण होता है फेफड़े पर बुरा असर पड़ता है अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं ऐसे कई निरंतर प्रयोगों के कारण में अनेक दुष्परिणामों की बात हुई है बीमारियों में अनेक प्रकार से वृद्धि हुई है बच्चे बूढ़े ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं यह धूआ सिगरेट के धुए से भी ज्यादा खतरनाक है ब्रिटिश लंगस फाउंडेशन के डॉक्टर निक रॉबिंसन अनुसार पाली एरोमेटिक हाइड्रोकार्बंस पीएएच से
अस्थमा कैंसर सिरदर्द बेचैनी घबराहट बढ़ जाती है अगरबत्ती में बैंजो पाईटैन न्यूटाडाईन
बेंजीन इन रसायनों से ल्यूकेमिया एलर्जी फेफड़ों के रोग होते हैं प्रजनन क्षमता कम होती है इसी तरह बास में लेड और खुशबू के लिए डाले गए केमिकल फैतलेट मिलकर रोग उत्पन्न करते हैं हमारे घर ऑफिस फैक्ट्री मंदिर में विज्ञान असम्मत उद्देश्य हीन प्रदूषण कारक भगवान देवी देवता को अप्रसन्नता देने वाली रोग कारी मानसिक अस्वस्थता देने वाली अगरबत्ती धूप बत्ती का प्रयोग हमें बिल्कुल नहीं करना चाहिए शुद्ध असली प्राकृतिक जड़ी बूटियों का ही उपयोग जो शास्त्र सम्मत है करना चाहिए
धूप यज्ञ हवन सभी व्यक्ति कभी ना कभी किसी ना किसी समय अवश्य करते हैं करवाते हैं और उसके संपर्क में प्रतिदिन रहते हैं हम हमेशा कोई न कोई पूजा संस्कार करवाते हैं या कुन संस्कारों में सम्मिलित होते हैं पर आज यह सब कर तो रहे हैं लेकिन उस पर ध्यान देने विचार करने का समय किसी के पास नहीं है हमने इसे एक इवेंट बना दिया इवेंट प्रोग्राम की तरह इसे देखने लगे हैं इसके पीछे की मूल भावना भूल गए हैं उद्देश्य से भटक गए हम सिंबॉलिक पूजा कर रहे हैं क्या ?
हमारा ध्यान इवेंट की व्यवस्था डेकोरेशन सजावट खाना पीना मेहमान नवाजी पर ज्यादा है जबकि जिस कारण यह सब इवेंट हो रहा है वह एक सिंबल बन गया है बहाना बन गया है ऐसा क्यों
पूजा पाठ हमारे संस्कार हमारी असलियत के बारे में इसके पीछे छिपे उद्देश्य के बारे में हम जानने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं इसे धर्म के साथ क्यों जोड़ा गया इसके पीछे क्या भावना है क्या यह हमारे जीवन से जुड़ी कोई बड़ी बात है इसे इतना महत्त्वपूर्ण हमारे ऋषि-मुनियों ने संस्कारों में क्यों जोड़ कर रखा है क्या यह सब हमारे स्वास्थ्य से संबंधित है व्यक्ति अपने जीवन में अनेकों बार विभिन्न अवसरों पर धूप यज्ञ हवन के संपर्क में आता है हमारे उत्सव प्रिय यज्ञिय देश में सभी जगह कुछ ना कुछ धार्मिक कार्य होते ही रहते हैं हम स्वयं या हमारे मित्र रिश्तेदार कुछ ना कुछ हमेशा संस्कार करवाते ही रहते हैं सभी 16 संस्कारों में हवन आवश्यक है हम लोग अशुभ से डरने पर हवन करवाते हैं किसी भी प्रकार की बाधा को दूर करने के लिए हवन करवाते हैं भाग्य का साथ ना देने या अड़चन अाने पर हवन करवाते हैं कार्य सिद्धि मनोकामना पूरी होने पर हवन करवाते हैं मंदिर धार्मिक कार्य में सम्मिलित होने पर हम हवन के संपर्क में आते हैं किसी प्रतिष्ठान का उद्घाटन भूमि पूजन धार्मिक कार्य होने पर हम हवन के संपर्क में आते हैं गृह प्रवेश विवाह संस्कार होने पर हम हवन के संपर्क में आते हैं यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है किसी भी खुशी यह संकट के समय हवन होना सामान्य सी बात है यही धार्मिक कार्य में उपयोग होने वाली हवन सामग्री हमें हमारे स्वास्थ्य एवं वातावरण के स्वास्थ्य को ठीक करती है पंच तत्वों को शुद्ध करती है पंच तत्व से बना शरीर की शुद्धि होती है
इसी से हमें मानसिक अनुकूलता ऊर्जा प्राप्त होती है
वैदिक व्यवहार पूजा पाठ आराधना ध्यान यह सब स्वस्थ मानसिक शारीरिक वैचारिक उन्नति स्वास्थ्य संरक्षण के लिए है ऐसी चीजों का प्रयोग उपयोग जिसके माध्यम से हम स्वस्थ व प्रसन्न चित्त रहें ऐसी हमारी संस्कृति है जीवन जीने की पद्धति प्रकृति पूजा हमारा व्यवहार जीवन का सदुपयोग संयमित उपभोग संतुलित प्रेम पूर्ण जीवन यह हमारी संस्कृति है मनुष्य के कार्य की विज्ञान सम्मत चीजों को जड़ी बूटियों को हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म से कैसे जोड़ा आइए अब हम इस पर विचार करते हैं
हमारे वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों ने अनेक पेड़ पौधों वनस्पतियों को भगवान से धर्म से जोड़ दिया जो वनस्पतियां हमारे लिए अत्यंत लाभकारी हैं उन्हें धर्म से जोड़कर उसके संतुलित उपयोग की सलाह हमें दी गई इन्हीं जड़ी बूटियों से हमें संक्रमण से मुक्ति रोगाणु विषाणु कीटाणुओं का नाश एवं बल बुद्धि आरोग्यता सकारात्मकता दिव्यता प्राप्त होती है ऐसी जड़ी बूटियों को धूप यज्ञ हवन में उपयोग कर हम स्वयं एवं सभी प्राणी कैसे उपकृत हो सकते हैं यह बताया।
भले ही स्वार्थ वश उपयोग हो पर सभी के लिए कल्याणकारी हो
आप सभी स्वस्थ प्रसन्न रहें कामना भावना के साथ धर्म से जोड़ा गया

Hawan

पूजन धूप यज्ञ हवन में कौनसी केसी जड़ी बूटियां होनी चहिए।

धूप यज्ञ हवन मैं उपयोग की जाने वाली फायदा पहुंचाने वाली कौन-कौन सी जड़ी बूटियां का काम कहां कहां होना चाहिए किस क्षेत्र में वे उपयोगी हैं ऐसा विचार हमें करना है।
हमें अपने आप से कुछ सवाल भी करने पड़ेंगे
हमारी सामग्री में क्या उपयोगी है
निरोगी शरीर बल बुद्धि पॉजिटिविटी के लिए जड़ी बूटियां विज्ञान सम्मत स्वास्थ्य का संरक्षण करने वाली माइंडफूलनेस
वैलनेस वाली जड़ी बूटियां
हमें पूजा पाठ का मूल उद्देश्य भी समझना होगा ध्यान पूजा में हम अपने आप को अपने आप से कनेक्ट करते हैं हम अपने आप से मिलते हैं और उस कंसंट्रेशन उस रिलाइजेशन उस कनेक्शन को हम अपने आप में डिस्कवर करते हैं माय बॉडी एंड मी
नवचेतना स्वयं का अंतर्मन अंतरात्मा अंतः करण से मिलना अपनी ही आत्मा का अध्ययन करना इन सब में जो माध्यम जो उत्प्रेरक जो कंपनियन मटेरियल हमें सहायता करें जो self-realization में सहायक हो ऐसे माध्यम के लिए कौन-कौन से क्षेत्रों में काम करने वाली जड़ी बूटियां जो ग्रह नक्षत्र देवी देवता का भी प्रतिनिधित्व करें आइए मंथन करें
पूजा में जो धूप जलाते हैं हवन करते हैं उसकी सामग्री से हम क्या चाहते हैं क्यों वह शुद्ध फ्रेश बिना तेल निकली हुई रसपूर्ण असली जड़ी बूटियां होनी चाहिए
जड़ी बूटियों में एंटीवायरस एंटीवायरल बैक्टीरिया एंटीफंगल हेलमाइंथिक एंटी डिप्रेशन एंटी एलर्जी एंटी ऑक्सीडेंट एंटी रेडिएशन एंटीसेप्टिक एंटीऑक्सीडेंट जड़ी बूटियां होना आवश्यक है एंटीमाइक्रोबियल्स एक्टिविटी और एंटीबायोटिक गुणों से युक्त जड़ी बूटियां चतुर्मास वर्षा ऋतु के सीलन सडन को दूर करने वाली मौसम के परिवर्तन पर उत्पन्न होने वाले वायरस कीटाणु फंगस बैक्टीरिया से रक्षा करने वाली जड़ी बूटियां एवं मौसम परिवर्तन के रोगों से रक्षा करने वाली जड़ी बूटियां
ऐसी जड़ी बूटियों का समावेश जो मानसिक स्वास्थ्य को ठीक कर सके जिससे
हमारे अंदर की बुरी भावना अस्वाद डलनेस घबराहट झुनझुनाहट सनकी पन ड्रामा फ्रस्ट्रेशन बेचैनी याददाश्त नफरत डिप्रेशन ठीक हो सके न्यूरो रिलैक्सेशन हो मानसिक स्वास्थ्य सौरक्षण हो मानसिक दृढ़ता स्ट्रांगनेस आए
सुगंधी युक्त सौम्या वातावरण उत्पन्न हो सुगंध चिकित्सा हो ऐसी मूड फ्रेशनर जड़ी बूटियां
वातावरण प्रदूषण मुक्त हो प्रदूषण में व्याप्त अनेक अलग-अलग प्रकार का प्रदूषण ठीक हो पंचतत्व शुद्धि करण सैनिटाइजेशन डिटॉक्सिफिकेशन
मेटाबॉलिज्म ठीक कर रेगुलेट कर ऑक्सीजन की वृद्धि करे ऐसी जड़ी बूटियां धूम्र चिकित्सा द्वारा रक्त संचालन ठीक हो शरीर के रोम छिद्रों द्वारा सांसो द्वारा शरीर के सभी अबयव को निरोगी करने वाली पहुंचाने वाली एवं बलवर्धक पुष्टि कारण संक्रमण से रक्षा करने वाली अच्छे आयनों की संख्या बढ़ाने वाली प्रतिरक्षण क्षमता को विकसित करने वाली जड़ी बूटियां
साथ ही सर्व कल्याणकारी सर्व औषधी सफलता तंत्र प्रतिनिधित्व करती हुई कार्य सिद्धि विजय प्राप्ति एवं विशेष प्रयोजन के लिए उपयोग की जाने वाली अनेक जड़ी बूटियां
इसी प्रकार जादू टोना नजर ऊपरी बाधा हाय कला वास्तु दोष पित्र दोष दुर्घटना से बचाव रक्षाकारी सर्व कल्याणकारी जड़ी बूटियां साथ ऊर्जा उत्साह उमंग प्रसन्नता का वातावरण निर्मित करने वाली जड़ी बूटियां ऐसी सामग्री से बनी धूप यज्ञ हवन सामग्री हमारे लिए सर्व कल्याणकारी सभी प्राणियों पर समान रूप से शुभ लाभ देने वाली ही हो।

yagya vigyan

जैवविविधता और यज्ञ

सनातन संस्कृति और परंपरा ।

हम भारतीय प्राचीन काल से ही वनों वृक्षों नदियों और जीवन के विविध रूपों को अपने सभी समारोह में सभी उत्सव में शामिल करते हैं पृथ्वी मिट्टी हवा पानी नदियां पशु-पक्षी कृषिऔर जीवन के अनेक रंग रूप उसकी पवित्रता की सुरभि भारतीय संस्कृति में समाहित है लगभग 5000 वर्ष पूर्व हमारे पौधों की 5000 प्रजातियों से हम भोजन चुनते थे साथी अनेकों किस्म में हमारे खेतों में थी लंबे इतिहास में भारतीय जैव विविधता हर तरफ से सराबोर रही है और समृद्ध रही हैं।
हमारे यहां जैव विविधता का विशेष महत्व है हमारे यहां ऋषि-मुनियों ने इसे बड़े ही व्यवहारिक ढंग से
समझा
सूर्य चंद्र वायु अग्नि जल पृथ्वी औषधि वनस्पति अश्विनी मित्र वरुण विद्युत सरस्वती पूसा सविता प्राण आदि प्राकृतिक स्कूल एवं सूक्ष्म तत्व देवीय है यह दिन रात अपना भेषज कार्य करते रहते हैं वेद इन सब शक्तियों का उपयोग लेने का संकेत देता है इन तत्वों को विशेष क्रियाशील करने के लिए वेद यज्ञ के मार्ग का उपदेश देता है यह तत्व हमें जीवन आयु आरोग्य का एवं प्राण देवें और हमारे द्वारा संपन्न यज्ञ से व औषधियों के मधुर रस को पीने इस प्रकार जीवन एवं प्राण का उत्पत्ति केंद्र बनकर यज्ञ विभिन्न तत्वों के माध्यम से हमें लाभ पहुंचाता है।प्रकृति को देवी-देवताओं के रूप में स्वीकार करके उसके पूजन अर्चन आदर सम्मान और संरक्षण की शिक्षा हमारी संस्कृति हमें प्रदान करती है एवं उसके महत्व को स्वीकार करती है अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त के एक विचार के अनुसार हे धरती मां जो कुछ मैं तुमसे लूंगा वह उतना ही होगा जिसे तू पुनः पैदा कर सके तेरे मर्म स्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूंगा वायु देव की कल्पना वायु के महत्व को प्रकट करती है जिस के संबंध में कहा गया है की है वायु देव अपनी औषधियां ले आओ और यहां के सब दोष दूर कर दो क्योंकि तुम भी सब औषधियों से युक्त हो इसी तरह गाय भारतीयों का आधार हैभारत की प्रत्येक ऋतु में अनेक उत्सव समाहित हैं जो इस राष्ट्र को गतिमान उल्लास में और चिर युवा बनाए रखते हैं भारतीय संस्कृति यज्ञ प्रधान वेद रामायण महाभारत अभी धार्मिक तथा ऐतिहासिक ग्रंथों में यज्ञ को ही सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

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शुद्ध असली सामग्रियो द्वारा धूप यज्ञ हवन से होने वाला अनुभव

जहां पर हवन हो रहा है वहां हमें क्या दिखता है नीचे कुछ लकड़ियां प्रज्वलित हैं और कंडे जो गाय के गोबर से बने हैं वह भी लकड़ी के साथ में जलते हुए दिख रहे हैं और ऊपर से विभिन्न वनस्पतियों औषधियों जड़ी बूटियों का मिश्रण डाला जा रहा है जिसमें धी गुड मिला हुआ है हमें एक और चीज दिख रही है ऊपर से चम्मच से गाय का घी भी डाला जा रहा है
चारों और का वातावरण आकर्षित कर रहा है हमें अच्छा अनुभव हो रहा है सुगंध युक्त सुरम्य वातावरण है इस श्रेयस वातावरण में बेचैनी घबराहट अधीर पन भय उदासी अकेलापन गिलानी विशाद नेगेटिविटी मानसिक थकान कम हो रही है चित्त शांत हो रहा है मन स्थिर हो रहा है मन की उदासी कम हो गई है और प्रफुल्लता महसूस हो रही है मैं स्वयं को स्वस्थ महसूस कर रहा हूं सकारात्मक तेजस्वी वातावरण में स्वयं को पाकर मैं खुश हूं चारों और ऊर्जा का अनुभव हो रहा है अच्छे विचार आने लगे हैं आंतरिक शक्ति का अनुभव हो रहा है जैसे कोई तेज उत्पन्न हो रहा हो बौद्धिक सोच उत्पन्न हो रही हो मेरे अंदर उत्पन्न परिवर्तन मुझे महसूस हो रहा है ऐसी अनुभूति है जैसे मेरी अभी-अभी चिकित्सा हुई है क्या मैं चिकित्सालय में खड़ा हूं हवा बदल गई है प्रकृति सुंदर लगने लगी है मैं स्वयं से मिल रहा हूं मेरे अंदर स्थिरता एकाग्रता आ चुकी है आनंद का अनुभव है यह दिव्य अनुभूति है जीवन आनंद है यह अनुभूति क्यों कैसे प्राप्त हुई इसका विचार मेरे मन में सवाल पैदा कर रहा था कि कुछ ही समय पूर्व जो मैं बेचैन था अब अच्छा महसूस कर रहा हूं ऐसा कैसे हुआ यह जानने की इच्छा यह प्रश्न अपने आप से ही करते हुए उसके उत्तर की खोज करने लगा जो यज्ञ हो रहा था मैंने पाया उसमें उच्च कोटि की सामग्री का प्रयोग था उसमें अनेकों प्रकार की औषधियां थी सुगंधित जड़ी बूटियां थी रोग प्रतिरोधी जड़ी बूटियों के साथ कई जड़ी बूटियां संक्रमण से लड़ने वाली थी वायरस कीटाणु फंगस कर्मी रोगाणु विषाणु को मारने वाली क्षमता की जड़ी बूटियां एवं पर्यावरण में व्याप्त अनेक विकृतियों को हटाकर उन्हें शुद्ध करने की क्षमता वाली जड़ी बूटियां थी पर्यावरण में व्याप्त अनेक प्रकार की हानिकारक गैसों से लड़ने की क्षमता इन जड़ी बूटियों में थी जिससे हवा जल आकाश भूमि शुद्ध हो रही थी भूमि पर रहने वाले सभी प्राणी पेड़ पौधे वनस्पतियां फसलें सभी उपकृत हो रहे थे फसलों पर हानिकारक कीटाणुओं का प्रभाव कम हुआ था पेड़ पौधे अधिक हष्ट पुष्ट उर्जा से युक्त पौष्टिक फल देने वाले ऊर्जावान थे धूप यज्ञ हवन का परिणाम यज्ञ में उपयोग किए जाने वाली जड़ी बूटियां इन सभी के प्रभाव से यह सब हो रहा था धी ज्वलनशील होने से वातावरण में ऑक्सीजन अधिक दे रहा था यज्ञ में उत्पन्न धूआ हमारे रोम रोम में समा रहा था दूध दही घी व अन्य सामग्री जो पूषठी कारक बल प्रदान करने वाली थी वह हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास कर रही थी मानसिक शक्ति का विकास हो रहा था यह सभी औषधीय जड़ी बूटियां हमारा सवांगणीया विकास एवं सुरक्षा देने वाली थी ऐसा लगा कि हम ऐसी महान संस्कृति परंपरा का हिस्सा है विज्ञान आयुर्वेदा कि यह प्रत्यक्ष प्रमाण सहित दर्शन था पंचमहाभूत शुद्ध हो चुके थे और पंच भूत से बना हमारा शरीर भी शुद्ध हो रहा था।

क्या हम गलत पूजन धूप हवन सामग्री का उपयोग कर प्रदुषण बढ़ा रहे हैं।

आज चारों ओर प्रदूषण है पंचतत्व में प्रदूषण ऐसा घुला मिला है कि एक की बात करो तो दूसरा तीसरा चौथा प्रदूषण आ जाता है रोज वायु में मिश्रित विभिन्न गैस से हम प्रभावित हो रहे हैं इन 22 प्रकार की हानिकारक गैसों का पता डब्ल्यूएचओ को चला है जो वायु में प्रदूषण फैला रही हैं शहर हाफ रहे हैं और बीमार हैं क्या हम गैस चेंबर में रहे हैं
70% लोगों को शुद्ध पानी पीने के लिए नहीं मिल रहा रसायन जल और भूमि पर ऐसा घुल मिल रहा है जिससे भूगर्भ जल चक्र प्रदूषित हो चुका है भोजन रसायन युक्त मिल रहा है
यह कैसी प्रगति है विज्ञान के चमत्कार हमारा जीवन सहज बनाते हैं पर प्रकृति चमत्कार धूप हवा पानी वनस्पति के बिना जीवनी संभव नहीं है जबकि हमारे संस्कृति का अर्थ जीवन की शुद्धि और उससे जुड़ी समृद्धि है इस प्रकार के वातावरण से मानसिक प्रदूषण बढ़ रहा है हमारे देश में 40% से अधिक लोग किसी न किसी रूप में आशीर्वाद से ग्रसित हैं पर्यावरण नष्ट होने से अनेकों बीमारियां हो रही हैं डब्ल्यूएचओ यह भी कहता है कि अन्य देशों की अपेक्षा हमारे देश में प्रदूषण के कारण मनुष्य की सांस लेने की क्षमता 40% से भी कम है
असली जीडीपी हवा पानी धूप मट्टी व पर्यावरण है
अनेक प्रकार के प्रदूषण से हम धीरे हैं रसायन प्रदूषण भोजन प्रदूषण जनसंख्या प्रदूषण मिट्टी का प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज इन सब के कारण मानसिक प्रदूषण डिप्रेशन स्ट्रेस नेगेटिव थॉट असुरक्षा की भावना सुसाइडल टेंडेंसी कार्य क्षमता प्रजनन क्षमता बौद्धिक विचार आध्यात्मिक अवनति डर भय घबराहट बेचैनी घबराहट मन भावना विचार नकारात्मकता अविश्वास विचारों का संक्रमण हर तरफ है
इन सब से बचने के लिए हम भगवान की शरण में जाते हैं पूजा पाठ करते हैं मेडिटेशन करते हैं इन सब को करने के लिए माध्यम के रूप में हम पूजा सामग्रियों का उपयोग भी करते हैं
धूपदीप भी करतै है।
वही पूजन सामग्री रसायनिक प्रदूषण युक्त है केमिकल युक्त है नकली है वह प्रदूषण को हटा नहीं रही है बल्कि प्रदूषित जहरीला वातावरण बना रही है
धूप यज्ञ हवन द्वारा हम प्रदूषण को हटाते हैं धूप यज्ञ हवन में उपयोगी वनस्पतियां जड़ी बूटियो का कार्य प्रदूषण मुक्त स्वस्थ वातावरण बनाना है जबकि हम गलत सामग्रियों का उपयोग कर प्रदूषण बढ़ा रहे हैं
विचार अवश्य कीजिए।

धूप यज्ञ हवन मैं उपयोग की जाने वाली फायदा पहुंचाने वाली कौन-कौन सी जड़ी बूटियां का काम कहां कहां होना चाहिए किस क्षेत्र में वे उपयोगी हैं

विचार हमें करना है।

हमें अपने आप से कुछ सवाल भी करने पड़ेंगे
हमारी सामग्री में क्या उपयोगी है और क्यों ?

निरोगी शरीर बल बुद्धि पॉजिटिविटी के लिए जड़ी बूटियां विज्ञान सम्मत स्वास्थ्य का संरक्षण करने वाली माइंडफूलनेस
वैलनेस वाली जड़ी बूटियां
हमें पूजा पाठ का मूल उद्देश्य भी समझना होगा ध्यान पूजा में हम अपने आप को अपने आप से कनेक्ट करते हैं हम अपने आप से मिलते हैं और उस कंसंट्रेशन उस रिलाइजेशन उस कनेक्शन को हम अपने आप में डिस्कवर करते हैं माय बॉडी एंड मी
नवचेतना स्वयं का अंतर्मन अंतरात्मा अंतः करण से मिलना अपनी ही आत्मा का अध्ययन करना इन सब में जो माध्यम जो उत्प्रेरक जो कंपनियन मटेरियल हमें सहायता करें जो self-realization में सहायक हो ऐसे माध्यम के लिए कौन-कौन से क्षेत्रों में काम करने वाली जड़ी बूटियां जो ग्रह नक्षत्र देवी देवता का भी प्रतिनिधित्व करें आइए मंथन करें
पूजा में जो धूप जलाते हैं हवन करते हैं उसकी सामग्री से हम क्या चाहते हैं क्यों वह शुद्ध फ्रेश बिना तेल निकली हुई रसपूर्ण असली जड़ी बूटियां होनी चाहिए
जड़ी बूटियों में एंटीवायरस एंटीवायरल बैक्टीरिया एंटीफंगल हेलमाइंथिक एंटी डिप्रेशन एंटी एलर्जी एंटी ऑक्सीडेंट एंटी रेडिएशन एंटीसेप्टिक एंटीऑक्सीडेंट जड़ी बूटियां होना आवश्यक है एंटीमाइक्रोबियल्स एक्टिविटी और एंटीबायोटिक गुणों से युक्त जड़ी बूटियां चतुर्मास वर्षा ऋतु के सीलन सडन को दूर करने वाली मौसम के परिवर्तन पर उत्पन्न होने वाले वायरस कीटाणु फंगस बैक्टीरिया से रक्षा करने वाली जड़ी बूटियां एवं मौसम परिवर्तन के रोगों से रक्षा करने वाली जड़ी बूटियां
ऐसी जड़ी बूटियों का समावेश जो मानसिक स्वास्थ्य को ठीक कर सके जिससे
हमारे अंदर की बुरी भावना अस्वाद डलनेस घबराहट झुनझुनाहट सनकी पन ड्रामा फ्रस्ट्रेशन बेचैनी याददाश्त नफरत डिप्रेशन ठीक हो सके न्यूरो रिलैक्सेशन हो मानसिक स्वास्थ्य सौरक्षण हो मानसिक दृढ़ता स्ट्रांगनेस आए
सुगंधी युक्त सौम्या वातावरण उत्पन्न हो सुगंध चिकित्सा हो ऐसी मूड फ्रेशनर जड़ी बूटियां
वातावरण प्रदूषण मुक्त हो प्रदूषण में व्याप्त अनेक अलग-अलग प्रकार का प्रदूषण ठीक हो पंचतत्व शुद्धि करण सैनिटाइजेशन डिटॉक्सिफिकेशन
मेटाबॉलिज्म ठीक कर रेगुलेट कर ऑक्सीजन की वृद्धि करे ऐसी जड़ी बूटियां धूम्र चिकित्सा द्वारा रक्त संचालन ठीक हो शरीर के रोम छिद्रों द्वारा सांसो द्वारा शरीर के सभी अबयव को निरोगी करने वाली पहुंचाने वाली एवं बलवर्धक पुष्टि कारण संक्रमण से रक्षा करने वाली अच्छे आयनों की संख्या बढ़ाने वाली प्रतिरक्षण क्षमता को विकसित करने वाली जड़ी बूटियां
साथ ही सर्व कल्याणकारी सर्व औषधी सफलता तंत्र प्रतिनिधित्व करती हुई कार्य सिद्धि विजय प्राप्ति एवं विशेष प्रयोजन के लिए उपयोग की जाने वाली अनेक जड़ी बूटियां
इसी प्रकार जादू टोना नजर ऊपरी बाधा हाय कला वास्तु दोष पित्र दोष दुर्घटना से बचाव रक्षाकारी सर्व कल्याणकारी जड़ी बूटियां साथ ऊर्जा उत्साह उमंग प्रसन्नता का वातावरण निर्मित करने वाली जड़ी बूटियां ऐसी सामग्री से बनी धूप यज्ञ हवन सामग्री हमारे लिए सर्व कल्याणकारी सभी प्राणियों पर समान रूप से शुभ लाभ देने वाली हीहो।