pooja-samagri

Object of Pooja path and importance of medium (samagri)

पूजा-सामग्री धूप दीप हवन आरती का वैज्ञानिक महत्व, जानिए
हिंदू सनातन धर्म क्या है उत्तर यह जीवन जीने की पद्धति इसका पहला उद्देश्य स्वास्थ्य का संरक्षण है
पूजा-पाठ ध्यान का मतलब है स्वयं से स्वयं का मिलना अपनी अंतरात्मा से साक्षात्कार करना इसीलिए पूजा के पंचोपचार दस उपचार
सोलह उपचार द्वारा मन
की एकाग्रता पाना है सामग्री से तात्पर्य वह आपको आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाए जिससे शरीर की शुद्धि के साथ विचारों की भी शुद्धि हो
वातावरण में कीटाणुओं का नाश करना शरीर की संभावित कमी को पूरा करना प्रभाव क्षेत्र सुगम श्रेष्ठ शुद्ध उर्जायुक्त बनाना रंगों का संतुलन रोग उपचार मानसोपचार एक्यूप्रेशर चिकित्सा नेचुरल पंचभूत शुद्धि
सुगंध चिकित्सा जैसे अनेक प्रकार की अल्टरनेटिव मेडिसिन का उपयोग वैज्ञानिक रूप में किया जाता है यह एनवायरमेंट क्लीनिक ईश्वर से कनेक्ट करने वाला अपने आप से अपने आप को जोड़ने वाला सशक्त माध्यम है सभी प्रकार की जड़ी बूटी अनेक गुणों से युक्त होती हैं मौसम परिवर्तन के कारण होने वाले संक्रमण से बचाव के लिए भी सामग्री का महत्व है जो पंचतत्व में हुई गड़बड़ी को संतुलित करती हैं
ईश्वर को प्रकृतिक सामग्रियों से शुद्ध श्रेष्ठ समर्पण भले ही समर्पण सूक्ष्म हो लेकिन शुद्ध व साफ हो क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य सरक्षण से जुड़ा हुआ है यह कंपैनियन मटेरियल्स वातावरण से प्रदूषण हटाकर जर्मस हटाकर
डीटॉक्सिफाई डिसइनफेक्ट कर सेनीटाइज करता है
‘…गन्धाक्षतम्, पुष्पाणि, धूपम्, दीपम्, नैवेद्यम् समर्पयामि।’

व्यक्ति की जिसमें जैसी श्रद्धा है, वह वैसा करता है।
शास्त्रों में उपयोग किए गए शब्दों पर ध्यान अवश्य दें उनका अर्थ समझे जैसे ऊपर उपचार का प्रयोग किया गया था इसी तरह
आरती को ‘आरात्रिक’ अथवा ‘नीराजन’ क्यों कहते हैं विचार कीजिए
एक उदाहरण पर ध्यान दें शंख-ध्वनि और घंटे-घड़ियाल पूजा के प्रधान अंग हैं। किसी देवता की पूजा शंख और घड़ियाल बजाए बिना नहीं होती। सन् 1928 में बर्लिन यूनिवर्सिटी ने शंख ध्वनि का अनुसंधान करके यह सिद्ध किया था कि शंख ध्वनि की शब्द लहरें बैक्टीरिया नामक संक्रामक रोग कीटों को मारने में उत्तम और सस्ती औषधि है। प्रति सेकंड 27 घनफुट वायु शक्ति के जोर से बजाया हुआ शंख 1200 फुट दूरी तक के बैक्टीरिया जंतुओं को मार डालता है और 2600 फुट तक के जंतु इस ध्वनि के कारण मूर्छित हो जाते हैं। बैक्टीरिया के अतिरिक्त हैजा, गर्दनतोड़ बुखार, पेट के कीड़े भी कुछ दूरी तक मरते हैं। ध्वनि विस्तारक स्थान के आस-पास का स्थान तो निःसंदेह निर्जंतु हो जाता है। मृगी, मूर्च्छा, कंठमाया और कोढ़ के रोगियों के अंदर शंख ध्वनि की जो प्रतिक्रिया होती है वह रोगनाशक कही जा सकती है।
इसलिए भारतीय पूजा का महत्व है इसी लिए सामग्री का काफी महत्व है जिस के संपर्क में रहने से आप निरोगी रहते हैं कचरा सामग्री केमिकल युक्त सामग्री के उपयोग से आप बीमार पड़ते हैं भगवान भी अप्रसन्न होते हैं मन उच्चाटन होता है
पूजा का उद्देश्य विफल होता है इसलिए सही शुद्ध असली सामग्रियों का ही उपयोग करें स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें पूजा-पाठ को सार्थक करें आरोग्य शक्ति संपन्नता सकारात्मकता सफलता पाएं टेंशन रिमूव करें यह सनातन टीकाकरण है जिससे माइंड बॉडी सोल का शुद्धिकरण होता है कंसंट्रेशन आता है यह होलिस्टिक मेडिसिन है