भारतीय वैज्ञानिक संस्कृति ओर आज का
दुरुपयोग
गलत सामग्रियों से या धूपबत्ती अगरबत्ती से अनेक संकट खड़े होते हैं
इससे कार्बन के ऑक्साइड सल्फर के ऑक्साइड नाइट्रोजन के ऑक्साइड टॉल्युन बेंजीन सिंथेटिक रसायन बनते हैं इसके धुएं से सांद्रता बढ़ती है प्रदूषण होता है फेफड़े पर बुरा असर पड़ता है अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं ऐसे कई निरंतर प्रयोगों के कारण में अनेक दुष्परिणामों की बात हुई है बीमारियों में अनेक प्रकार से वृद्धि हुई है बच्चे बूढ़े ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं यह धूआ सिगरेट के धुए से भी ज्यादा खतरनाक है ब्रिटिश लंगस फाउंडेशन के डॉक्टर निक रॉबिंसन अनुसार पाली एरोमेटिक हाइड्रोकार्बंस पीएएच से
अस्थमा कैंसर सिरदर्द बेचैनी घबराहट बढ़ जाती है अगरबत्ती में बैंजो पाईटैन न्यूटाडाईन
बेंजीन इन रसायनों से ल्यूकेमिया एलर्जी फेफड़ों के रोग होते हैं प्रजनन क्षमता कम होती है इसी तरह बास में लेड और खुशबू के लिए डाले गए केमिकल फैतलेट मिलकर रोग उत्पन्न करते हैं हमारे घर ऑफिस फैक्ट्री मंदिर में विज्ञान असम्मत उद्देश्य हीन प्रदूषण कारक भगवान देवी देवता को अप्रसन्नता देने वाली रोग कारी मानसिक अस्वस्थता देने वाली अगरबत्ती धूप बत्ती का प्रयोग हमें बिल्कुल नहीं करना चाहिए शुद्ध असली प्राकृतिक जड़ी बूटियों का ही उपयोग जो शास्त्र सम्मत है करना चाहिए
धूप यज्ञ हवन सभी व्यक्ति कभी ना कभी किसी ना किसी समय अवश्य करते हैं करवाते हैं और उसके संपर्क में प्रतिदिन रहते हैं हम हमेशा कोई न कोई पूजा संस्कार करवाते हैं या कुन संस्कारों में सम्मिलित होते हैं पर आज यह सब कर तो रहे हैं लेकिन उस पर ध्यान देने विचार करने का समय किसी के पास नहीं है हमने इसे एक इवेंट बना दिया इवेंट प्रोग्राम की तरह इसे देखने लगे हैं इसके पीछे की मूल भावना भूल गए हैं उद्देश्य से भटक गए हम सिंबॉलिक पूजा कर रहे हैं क्या ?
हमारा ध्यान इवेंट की व्यवस्था डेकोरेशन सजावट खाना पीना मेहमान नवाजी पर ज्यादा है जबकि जिस कारण यह सब इवेंट हो रहा है वह एक सिंबल बन गया है बहाना बन गया है ऐसा क्यों
पूजा पाठ हमारे संस्कार हमारी असलियत के बारे में इसके पीछे छिपे उद्देश्य के बारे में हम जानने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं इसे धर्म के साथ क्यों जोड़ा गया इसके पीछे क्या भावना है क्या यह हमारे जीवन से जुड़ी कोई बड़ी बात है इसे इतना महत्त्वपूर्ण हमारे ऋषि-मुनियों ने संस्कारों में क्यों जोड़ कर रखा है क्या यह सब हमारे स्वास्थ्य से संबंधित है व्यक्ति अपने जीवन में अनेकों बार विभिन्न अवसरों पर धूप यज्ञ हवन के संपर्क में आता है हमारे उत्सव प्रिय यज्ञिय देश में सभी जगह कुछ ना कुछ धार्मिक कार्य होते ही रहते हैं हम स्वयं या हमारे मित्र रिश्तेदार कुछ ना कुछ हमेशा संस्कार करवाते ही रहते हैं सभी 16 संस्कारों में हवन आवश्यक है हम लोग अशुभ से डरने पर हवन करवाते हैं किसी भी प्रकार की बाधा को दूर करने के लिए हवन करवाते हैं भाग्य का साथ ना देने या अड़चन अाने पर हवन करवाते हैं कार्य सिद्धि मनोकामना पूरी होने पर हवन करवाते हैं मंदिर धार्मिक कार्य में सम्मिलित होने पर हम हवन के संपर्क में आते हैं किसी प्रतिष्ठान का उद्घाटन भूमि पूजन धार्मिक कार्य होने पर हम हवन के संपर्क में आते हैं गृह प्रवेश विवाह संस्कार होने पर हम हवन के संपर्क में आते हैं यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है किसी भी खुशी यह संकट के समय हवन होना सामान्य सी बात है यही धार्मिक कार्य में उपयोग होने वाली हवन सामग्री हमें हमारे स्वास्थ्य एवं वातावरण के स्वास्थ्य को ठीक करती है पंच तत्वों को शुद्ध करती है पंच तत्व से बना शरीर की शुद्धि होती है
इसी से हमें मानसिक अनुकूलता ऊर्जा प्राप्त होती है
वैदिक व्यवहार पूजा पाठ आराधना ध्यान यह सब स्वस्थ मानसिक शारीरिक वैचारिक उन्नति स्वास्थ्य संरक्षण के लिए है ऐसी चीजों का प्रयोग उपयोग जिसके माध्यम से हम स्वस्थ व प्रसन्न चित्त रहें ऐसी हमारी संस्कृति है जीवन जीने की पद्धति प्रकृति पूजा हमारा व्यवहार जीवन का सदुपयोग संयमित उपभोग संतुलित प्रेम पूर्ण जीवन यह हमारी संस्कृति है मनुष्य के कार्य की विज्ञान सम्मत चीजों को जड़ी बूटियों को हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म से कैसे जोड़ा आइए अब हम इस पर विचार करते हैं
हमारे वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों ने अनेक पेड़ पौधों वनस्पतियों को भगवान से धर्म से जोड़ दिया जो वनस्पतियां हमारे लिए अत्यंत लाभकारी हैं उन्हें धर्म से जोड़कर उसके संतुलित उपयोग की सलाह हमें दी गई इन्हीं जड़ी बूटियों से हमें संक्रमण से मुक्ति रोगाणु विषाणु कीटाणुओं का नाश एवं बल बुद्धि आरोग्यता सकारात्मकता दिव्यता प्राप्त होती है ऐसी जड़ी बूटियों को धूप यज्ञ हवन में उपयोग कर हम स्वयं एवं सभी प्राणी कैसे उपकृत हो सकते हैं यह बताया।
भले ही स्वार्थ वश उपयोग हो पर सभी के लिए कल्याणकारी हो
आप सभी स्वस्थ प्रसन्न रहें कामना भावना के साथ धर्म से जोड़ा गया