gaureesh yagya

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वैज्ञानिक उत्तर
Let us think scientifically

Eco clean ancient Veda therapy herbalism

The holistic management
Ancient heritage
Powerful energy with positivity

जब हम यज्ञ करते हैं तब अग्नि के साथ मंत्रोच्चारण द्वारा हम दोनों प्रकार की एनर्जी एक साथ प्राप्त करते हैं इन दोनों के सहयोग से फिजिकल साइकोलॉजिकल और स्प्रिचुअल लाभ भी प्राप्त करते हैं यह बात विज्ञान सम्मत है कि हमारे पास दो प्रकार की बेसिक एनर्जी इस फिजिकल दुनिया में है हीट एंड साउंड अर्थात ताप और स्वर अब हम सामग्रियों पर बात करें तो इसमें विभिन्न प्रकार के घटक का समायोजन कॉन्बिनेशन होता है जो हमें विभिन्न प्रकार से लाभ देती हैं हम उन जड़ी बूटियों के अलग-अलग एंगल से अलग-अलग प्रकार से लाभ प्राप्त करते हैं जिसका वैदिक उत्तर हमें मिलता है वैज्ञानिक उत्तर आज के परिपेक्ष में उतना ही आवश्यक है

सबसे पहले हम इकोक्लीन वातावरण पर विचार करते हैं आधुनिक जीवन पर्यावरण और धूप यज्ञ हवन द्वारा ग्रीन एवं ऑर्गेनिक मैनेजमेंट

जब पशु बीमार होता है तब वह जंगल में ऐसी वनस्पतियों को खाता है ढूंढता है जो फाइटोकेमिकल युक्त होते हैं जिसमें एंटी वायरल एंटी बैक्टीरियल एंटी सेप्टिक एंटी एंटीबायोटिक एंटी-फंगल
तत्व होते हैं हवन में भी हाइड्रो कार्बन के आंशिक ऑक्सीकरण जटिल कार्बनिक पदार्थों के गठन से एल्डिहाइड का उत्पादन होता है जो शक्तिशाली एंटीसेप्टिक है फॉर्मल डिहाइड गैस के बनने से कीटाणु रहित वातावरण बनता है जिसे हॉस्पिटल में डिसइन्फेक्श के लिए प्रयोग किया जाता है वाशपशील तेलों एवं एरोमा तेलों कै जीवाणु नाशक धुएं के संपर्क में उत्पन्न उन गैसों द्वारा जीवाणु का नाश होता है मस्तिष्क कोशिका नवीनीकृत होती है ऑक्सीडेशन हाइड्रोकार्बन
इसी तरह फूड प्रिजर्वेशन मैं फार्मिक एसिड और एसिटिक एसिड दोनों से कीटाणु नाइस व संरक्षण मिलता है यज्ञ के धुए में यह प्रभाव है
यज्ञ में ऐसी जड़ी बूटियां होमी जाती हैं जो सीधे मस्तिष्क पर असर करती हैं न्यूरोलॉजिक सेशन रेगुलेशन पर काम करती हैं एवं एंटीबायोटिक गुणों से युक्त होती हैं सुगंध के लिए जड़ी बूटियों का मिश्रण तैलीय द्रव्य एलकेलाइट वोटाइल ऑयल की फ्यूम्स डिफ्यूज्ड नॉनबैक्टीरियल पैरासाइट किल करती है दूर भगाती है सैनिटाइज इन्वायरमेंट बनाती है
एथीनो फार्मोकोलॉजी जनरल में यह सब प्रकाशित हो चुका है क्या आप जानते हैं हवन यज्ञ की विधि अमेरिका में सन 2007 मैं ही पेटेंट हो चुकी है जिसका पेटेंट नंबर डब्लू ओ 2007 072 500 ए2 है
धूप यज्ञ हवन में दो बातें होती हैं आप नीचे क्या चला रहे हैं जो लकड़ियों के रूप में होता है जिसका कोयला नहीं बनता है जिसकी डायरेक्ट राख बनती है ऐसी 60 प्रकार की लकड़ियां जड़ी बूटियां होती हैं एवं देसी गाय के गोबर से बने उपले होते हैं आप ऊपर से अनेक वनस्पतियों का मिश्रण डालते हैं इस प्रकार धी की धारा चम्मच से डाली जाती है इसी प्रकार की जड़ी बूटियों के प्रयोग से विषाणु कीटाणुओं रोगाणुओं का नाश होता है हवा में तापमान 250 डिग्री से 700 डिग्री तक होता है इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर भाप बनाती है कार्बन डाइऑक्साइड प्लस हाइड्रोजन डाइऑक्साइड प्लस
112000 कैलोरी बराबर एच सी एच ओ प्लस ऑक्सीजन
एनबीआर एवं अन्य शोधों से यह स्पष्ट है कि उक्त गैस अस्पतालों में संक्रमण को हटाने में प्रयोग होती हैं धुआं द्वारा 90% तक विषाणु कम होना पाए गए हैं यह वातावरण 15 से 20 दिनों तक वातावरण में रहता है हवन के वैपर एवं एरोमेटिक स्ट्रांग ऑक्सीडेंट का कार्य करते हैं हवन सामग्री की जड़ी बूटियां वेपर के माध्यम से नाक द्वारा सीधे फेफड़ों में जाती हैं एवं चमड़ी वा रोम के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचती हैं एलोपैथी डॉक्टर द्वारा इनहेलेशन इसट्रांसल द्वारा सीधे ब्लड में दवाई पहुंचाई जाती है इंजेक्शन या टेबलेट से यह बेहतर होते हैं डॉक्टर द्वारा ट्रांसडर्मल पैच भी उपयोग किए जाते हैं इसी प्रकार से यज्ञ व पर भी सीधे हमारे ब्लड में शरीर में पहुंच जाते हैं यज्ञ हवन में एथिलीन ऑक्साइड पोपलीन ऑक्साइड विटा पॉपी लैकटॉन ऐसीटिलिन जैसी गैसों का निर्माण होता है यह लिपिड वेपर वातावरण में एवं हमारे शरीर में 2 माइक्रोन से भी छोटे पीपीएम को एब्जॉर्ब करके वायरस को निष्क्रिय कर देते हैं यज्ञ हवन के वैपर नाक के माध्यम से शरीर में जब प्रवेश करते हैं तब हमारी हाइपोथेलेमस ग्रंथि सक्रिय हो जाती है इसी तरह मनोरोग जैसे एडी डिप्रेशन उत्तेजना चिंता बेचैनी झुंझलाहट घबराहट वाले रोग एवं मिर्गी के दौरे वाले व्यक्ति जब इस हवन यज्ञ के संपर्क में आते हैं तो न्यूरो ट्रांसमीटर बढ़ जाते हैं गाबा सीरो निेन डोपामिन
जिससे हमें अच्छा लगता है हम खुश होते हैं व्यक्ति की डिप्रेशन एवं सुसाइडल टेंडेंसी कम हो जाती है टी सेल व्यक्ति की बीमारी से लड़ने में मदद करता है हवन में जो न्यूरो ट्रांसमीटर गाबा सिरोनिन बढ़ते हैं वह टी सेल को अनुशासित करने में मदद करते हैं सेंट्रल नर्वस सिस्टम को सीधे प्रभावित करते हैं सी डी ए डी
वातावरण में प्रदूषण के कारण कार्बन मोनो ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रोजन ऑक्साइड सल्फर ऑक्साइड ओजोन व अन्य हानिकारक घटकों पर असर होकर हानिकारक गैसै 80 प्रतिशत कम हो जाती हैं बैक्टीरिया कीटाणु माइक्रोेविअल भी 80 परसेंट कम हो जाते हैं अनहाइजीनिक जर्म समाप्त हो जाते हैं इसी प्रकार बायोटेक्नोलॉजी पेड़ पौधे जानवर पर भी असर होता है यह
वैदिक यज्ञ साइंस है।

Dr Rajendra Kumar Dubey