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पौधों पर आधारित चिकित्सा पद्धति

विश्व में अब तक जितनी भी चिकित्सा पद्धति विकसित हुई है उसमें सबसे प्राचीन पद्धति सर्वप्रथम लगभग 5000 वर्ष पूर्व भारत में आयुर्वेद के रूप में विकसित प्रचलित हुई चिकित्सा के क्षेत्र में अनेकों
अनुसंधान हुए एवं उनकी उपलब्धियां भी प्राप्त हुई हैं पर आज भी दुनिया की एक तिहाई आबादी पौधों पर आधारित चिकित्सा पद्धति पर ही निर्भर है डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 80% जनसंख्या पूरे विश्व की आज भी औषधीय पादपो का आंशिक या पूर्णतया उपयोग कर रही है ऋग्वेद ही आयुर्वेद का उद्गम है तथा अथर्ववेद में वन औषधि द्वारा चिकित्सा के विषय में सामग्री है यज्ञ विज्ञान से ओषघ का उपयोग सर्वप्रथम वेदों से ही प्राप्त होता है रस वीर्य युक्त जड़ी बूटियो का ज्ञान हमारे देश में वैदिक काल से ही रहा है अरण्य वन उपवन और जैव विविधता से परिपूर्ण इस भारत देश में गुरुकुलो द्वारा एवं छोटे से ग्राम से लेकर नगरों तक ग्राम वासियों आदिवासियों से लेकर नगर वासियों तक प्रकृति एवं पौधों से प्रेम आदी काल से ही था आज भी
हम अपने दैनिक जीवन में देखते-सुनते हैं कि किसी को पेट दर्द होने पर या गैस होने पर अजवायन, हींग आदि लेने को कहा जाता है; खाँसी-जुकाम, गला खराब होने पर कहा जाता है कि ठण्डा पानी न पियो; अदरक, तुलसी की चाय, तुलसी एवं काली मिर्च या शहद और अदरक का रस, अथवा दूध व हल्दी ले लो, आदि। अमुक चीज की प्रकृति ठण्डी है या गर्म, इस प्रकार के सभी निर्देश आयुर्वेद के ही अंग हैं। इस प्रकार हम अपने बुजुर्गों से पीढ़ी दर पीढ़ी घर में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ़ों के औषधीय गुणों के विषय में सीखते चले आ रहे हैं। हमें अपने घर के आँगन अथवा रसोई घर से ही ऐसे अनेक पदार्थ मिल जाते हैं, जिन्हें हम औषधि के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं। इस प्रकार हम इस आयुर्वेदीय पद्धति को अपने जीवन से अलग कर ही नहीं सकते ।
आयुर्वेद लिखनेवाले पुरुष को आप्त कहा जाता है, जिनको त्रिकाल (भूत, वर्तमान, भविष्य) का ज्ञान था। आयुर्वेद मतलब जीवनविज्ञान है। अतः यह सिर्फ एक चिकित्सा-पद्धति नहीं है, जीवन से सम्बधित हर समस्या का समाधान इसमें समाहित है।
आयुर्वेद एक संस्कृत शब्द है जिसको हिंदी में अनुवाद करें तो उसका अर्थ होता है “जीवन का विज्ञान” (संस्कृत मे मूल शब्द आयुर का अर्थ होता है “दीर्घ आयु” या आयु और वेद का अर्थ होता हैं “विज्ञान”।

आयुर्वेद महज जड़ी-बूटी नही यदि आपका मन, शरीर और आत्मा में ये सार्वलौकिक तालमेल बना रहता है, तो आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
आयुर्वेद मानव शरीर और मस्तिष्क के कल्याण में सुधार करते हैं शारीरिक रोगों का प्रभाव मन पर पड़ता है एंव मानसिक रोगों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है. इसीलिए सभी रोगों को मनो-दैहिक मानते हुए चिकित्सा की जाती है.
इसी तरह मनो दैहिक को जड़ी बूटियों के साथ कैसे व्याख्यीत किया इसे अंग्रेजी मैं देखें
medicinal plants described in Ayurveda (Indian system of medicine) with multi-fold benefits, specifically to improve memory and intellect by Prabhava (specific action). Medha means intellect and/or retention and Rasayana means therapeutic procedure or preparation that on regular practice will boost nourishment, health, memory, intellect, immunity and hence longevity.