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पूजा पाठ, धूप हवन सामग्री , इत्र, एसेंशियल ऑयल,फ्लोरल वॉटर द्वारा सुगंध चिकित्सा।

सुगंध चिकित्सा अनुसार सुगंध के इस्तेमाल से आंख कान नाक मस्तिष्क हृदय और पाचन क्रिया के अवयव पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है सुगंध से मस्तिष्क के ज्ञान तंतु में एक प्रकार की गति उत्पन्न होती है इससे मन हृदय पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है परिणाम तो रक्त संचार में तेजी आ जाती है ऑक्सीजन ज्यादा मिलती है इसलिए इसका प्रयोग जीवन में आनंद उल्लास पैदा करता है वन औषधि यजन प्रक्रिया मैं धूएं को व्यापक बनाकर सुगंध फैलाकर समूह चिकित्सा की एक विधा है जो विज्ञान सम्मत है गंध के प्रभाव के माध्यम से मस्तिष्क के प्रसुप्त केंद्रों का उद्दीपन ओर अंदर के हार्मोन रस द्रव्यों का रक्त में आ मिलना तथा स्वास द्वारा प्रमुख कार्यकारी औषधीय घटकों का उनको तक पहुंचना यही जीवन शक्ति निर्धारण अथवा व्याधि निवारण हेतु उत्तरदाई है
यह पदार्थ मनुष्य के शरीर और मन दोनों पर प्रभाव डालते हैं तथा भावनाओं को विशेष उल्लासित करते हैं सुगंध से वातावरण में अच्छे आयनों की संख्या में वृद्धि होती है हमारे देश में आदि काल से ही पूजा में सुगंधित पदार्थों का भगवान को समर्पण में उपयोग किया जाता रहा है इसी तरह धूप यज्ञ में अनेक सुगंधित जड़ी बूटियां डाली जाती हैं ज्योतिष में भी ग्रह राशियों के हिसाब से अलग-अलग सुगंधो का प्रभाव है सुगंध तरोताजा रखती है लव रोमांस में सुगंध का अपना महत्व है जो माहौल को खुशनुमा बनाता है
क्या आप जानते हैं कि
हिंदू धर्म व ज्योतिष शास्त्र में सुगंध व खुशबू का बहुत महत्व माना गया है साथ ही देवी लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।
ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव वंदना मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

सुगंध इत्र से देवी देवता को प्रसन्न होते है

सुगंध से ऐसे हार्मोंस रस उत्पन्न होते हैं जो हमें रिलैक्स करते हैं और हम खुश रहते हैं

सुगंध के चमत्कार से प्राचीनकाल के लोग परिचि‍त थे तभी तो वे घर और मंदिर आदि जगहों पर सुगंध का विस्तार करते थे। धूप यज्ञ करने से भी सुगंधित वातावरण निर्मित होता है।सुगंध के सही प्रयोग से एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है। सुगंध से स्नायु तंत्र और डिप्रेशन जैसी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। जानिए सुगंध का सही प्रयोग कैसे करें और साथ ही जानिए सुगंध का जीवन में महत्व। मनुष्य का मन चलता है शरीर के चक्रों से। इन चक्रों पर रंग, सुगंध और शब्द (मंत्र) का गहरा असर होता है।
यदि मन की अलग-अलग अवस्थाओं के हिसाब से सुगंध का प्रयोग किया जाए तो तमाम मानसिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

ध्यान रहे कि परंपरागत सुगंध को छोड़कर अन्य किसी रासायनिक तरीके से विकसित हुई सुगंध आपकी सेहत और घर के वातावरण को नुकसान पहुंचा सकती है।इत्र की खुशबू परलौकिक शक्तियों ,देवी और देवताओं को भी आर्कषित कर सकता हैं।
आइये जानते है इत्र से जुड़े कुछ फायदे-
यदि आप अपने कार्यालय या ऑफिस में लोगों पर प्रभाव डालना चाहते हैं तो मोगरा, रातरानी और चंदन का इत्र प्रयोग करें । ऑफिस में आपसे सब खुश रहेंगे।
मंदिर में चंदन, कपूर, चंपा, गुलाब, केवड़ा, केसर और चमेंली को इत्र भेंट करने या लगाने से देवी और देवता प्रसंन होते हैं।
खुशबू/इत्र द्वारा
जानिए कैसे करें नवग्रहों को सुगंध से प्रसन्न करें, हर ग्रह को है कोई खास सुगंध पसंद…है
यदि आपको लगता है कि कोई ग्रह या नक्षत्र आपकी जिंदगी में परेशानी खड़ी कर रहा है तो आप सुगंध से इन ग्रह नक्षत्रों के बुरे प्रभाव को दूर कर सकते हैं। तो जानिए कि कैसे सुगंध से ग्रहों की शांति की जा सकती है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह बुरे प्रभाव दे रहा है तो आप केसर या गुलाब की सुगंध का उपयोग करें। चंद्रमा मन का कारण है अत: इसके लिए चमेली और रातरानी के इत्र का उपयोग कर सकते हैं। मंगल ग्रह की परेशान से मुक्त होने के लिए लाल चंदन का इत्र, तेल अथवा सुगंध का उपयोग कर सकते हैं। बुध ग्रह की शांति के लिए चंपा का इत्र तथा तेल का प्रयोग उत्तम है गुरु के लिए केसर और केवड़े का इत्र के उपयोग के अलावा पीले फूलों की सुगंध से गुरु की कृपा पाई जा सकती है। शुक्र ग्रह की शुभता के लिए सफेद फूल, चंदन और कपूर की सुगंध लाभकारी होती है। शनि के खराब प्रभाव को अच्छे प्रभाव में बदलने के लिए कस्तुरी, लोबान तथा सौंफ की सुगंध का उपयोग करे कस्तुरी के इत्र का उपयोग कर राहु ग्रह के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। केतु के लिए घर में प्रतिदिन औषधीय धूप गुड़ और घी को मिलाकर उसे कंडे पर जलाएं।
रोजगार में वृद्धि हेतु :दीपावली पर महालक्ष्मीजी की पूजा के समय मां को एक इत्र की शीशी चढ़ाएं। उसमें से एक फुलेल लेकर मां को अर्पित करें। फिर पूजा के पश्चात् उसी शीशी में से थोड़ा इत्र स्वयं को लगा लें। इसके बाद रोजाना इसी इत्र में से थोड़ा-सा लगा कर कार्य स्थल पर जाएं तो रोजगार में वृद्धि होने लगती है।
रोज़ाना घर से निकलने वक्त अपनी नाभि में चंदन, गुलाब व मोगरे का इत्र लगाएं, इससे संपन्नता और वैभव बढ़ता जाएगा।
यदि आप चाहते है कि आपका पर्स हमेशा नोटो से भरा रहे तो पर्स में दो नोटों पर चंदन का इत्र लगाकर रखें। चंदन का इत्र लगाकर रखने से आपका पर्श हमेशा पैसों से भरा रहेगा अगर पति और पत्नी अपने बीच प्रेम के साथ ही घर में धन व समृद्धि को बढ़ाना चाहते है तो शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को माता लक्ष्मी को श्रृंगार के सामान के साथ इत्र भेट करें।
तिज़ोरी में चंदन का उपयोग कर सकते हैं। किसी भी देव-स्थल पर लाल गुलाब व चमेली का इत्र चढ़ाने से प्रेम विवाह में आ रही बाधाएं दूर होंगी।अगर आपको अचानक से नुकसान हो रहा है तो सात शुक्रवार को अपने पत्नी के माध्यम से सुहागिनों को लाल वस्तु उपहार दें। इसके साथ ही उपहार में इत्र जरूर दें। इससे तुरंत लाभ होगा।

देवताओं को प्रसंन्न करने हेतु: मंदिर में चंदन, कपूर, चंपा, गुलाब, केवड़ा, केसर और चमेली के इत्र का इस्तेमाल करने से देवी और देवता आपसे प्रसन्न रहते हैं।