gaureesh yagya

पूजन सामग्री पर चर्चा क्यों जरूरी है क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य से संबंधित है आज सभी लोगों को जानकारी होना चाहिए

यह स्वास्थ एवम पर्यावरण से संबंधित होने से अत्यंत आवश्यक है
हमें विचार करना चाहिए और अपने आप से सवाल पूछना चाहिए जिससे हमारी जीवन जीने की पद्धति सनातन सभ्यता
संस्कृति
परंपरा में सुधार हो वैज्ञानिकता दिखे।

पूजा पाठ की बात होते ही प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक पवित्रता
शुद्धता सफाई सकारात्मकता
समर्पण आस्था का भाव उत्पन्न होता है भगवान के प्रति श्रेष्ठ समर्पण और प्रकृति के प्रति क्रताघनता का भाव उत्पन्न होता है । पर आज नई पीढ़ी के मन में अनेक प्रश्न उत्पन्न होते रहते है
वे प्रत्यक्ष रूप से सब तरफ गंदगी कचरा केमिकल अव्यवस्था प्रदुषण महसूस कर रहे है साथ ही घबरा कर परेशान होकर उनके
मन मस्तिष्क में सवाल उठता है, कि हम पूजा पाठ करके क्या प्राप्त करेंगे
क्यों हमें करना चाहिए क्या हम पूजा पाठ करके रिलैक्स होंगे ? इसके उत्तर में आज अनेकों प्रकार की अव्यवस्थाओं को देखकर गंदगी अशुद्धता पाकर वह विचलित हो रहे हैं।

हमने पूजन सामग्री पर रिसर्च किया अनेक व्यक्तियों से बात की पंडितों से जानकारी ली अनेक शहरों में बाजार दुकानदार से बातचीत की
पूजन सामग्री के बारे में यह जानने की कोशिश की कि यह कहां पैदा होती है इसमें कौन ट्रेडर हैं थोक व्यापारीयो से दुकानदारों तक कैसे पहुंचती है और अन्तिम उपयोगकर्ता यजमान तक पहुंच कर कैसे उपयोग होती है। हमारे मन में अनेक प्रश्न सवाल जवाब उठे उनमें से कुछ पर चर्चा करेंगे।

सबसे पहले पहले हमने पाया की पूजन सामग्रियों का उपयोग हर धर्म का व्यक्ति किसी न किसी रूप में करता है या वह कभी ना कभी उसके संपर्क में आता ही है।
दूसरा अत्यंत महत्वपूर्ण बात जो सामने आई वह इस सामग्रियों की उपयोगिता से संबंधित है
अच्छी सामग्रियों के द्वारा अच्छा वातावरण पर्यावरण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सभी को प्राप्त होता है

मतलब पूजा पाठ फलदाई होती है।
हमें मार्केट सर्वे करने पर बाजार से अनेक जानकारियां प्राप्त हुई जिसे जजमान और पंडित जी दोनों को जानना आवश्यक है
इस पूजा-पाठ की सामग्री के व्यापार में अधिकतर बनवासी ग्रामवासी व्यक्ति जो हिंदू हैं वह जंगल से लाते हैं या अपने खेत में ऊगाते हैं या गांव के आसपास से प्राप्त कर इकट्ठा कर बाजार में बेचते हैं।
अब इसके आगे इस व्यापार में अधिकतम व्यवसाई जो 80% हैं मुस्लिम एवं बोहरा समाज के हैं जो ट्रेडर और मैन्युफैक्चरर्स हैं 10% सिंधी व्यापारी हैं बाकी 10% में अन्य सभी लोग हैं।
इसमें रिटेलर एवं उपयोगकर्ता अधिकतर हिंदू हैं।
अधिकतम पूजन सामाग्रीयो के नाम हिन्दू है क्यों कि अधिक खरीददार हिंदू ही है ।

मुखायतः

सभी धर्मों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण यह है की सामग्रियां असली शुद्ध एवं साफ-सुथरी होना तभी तो वे असरकारक होंगी जबकि ऐसा नहीं था फैक्ट्रियां जो यह सामान का उत्पादन पैकिंग करती हैं वहां पर वर्कर के रूप में महिलाएं अधिक काम करती हुई मिली जो स्वयं ही साफ-सुथरी नहीं थी महावारी मैं भी वह कार्य कर रही थी मटेरियल केमिकल और कूड़ा करकट युक्त था असली क्या है यह खोज का विषय था। सिर्फ पैकिंग ही अट्रैक्टिव और सुंदर थी।
उनके नाम भगवान के नाम पर थे।
हमने विचार किया की क्या हमारा समाज सो रहा है पंडित जी क्यों चुप हैं वह बोलते नहीं आस्था के नाम पर इतनी मिलावट गिरावट आ गई है वह भी भगवान के नाम पर हम कहां से कहां आ गए यह प्रोग्रेस है या पतन।

बाजार में अधिकतर दुकानदारों के यहां लिखा पाया कि यह सामान सिर्फ पूजा के उपयोग के लिए है अन्य उपयोग में ना लाएं नॉट ईडेबल ऐसी सामग्रियों के समर्पण से ना तो देव प्रसन्न होंगे ना ही हमें कुछ मिलेगा इन सामग्रियों के उपयोग का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा अध्यात्म पूजा पाठ का संबंध मन आत्मा पर होता है क्योंकि यह एकाग्रता ध्यान मेडिटेशन का माध्यम है।
अनेक दुकानदारों ने यह भी जवाब दिया कि हमें धर्म और आस्था से कोई लेना देना नहीं है जो है वह आपके सामने हैं लेना हो तो लो वरना छोड़ जाओ।

हमारे पूर्वज बचपन में यह सिखाते थे कि गलत करने पर पाप लगेगा कहीं गलत का संबंध स्वास्थ्य के नुकसान से तो नहीं है ।

ऐसी गलत सामग्रियां अगर कोई भी उपयोग करेगा तो बीमारियां उसके घर में होंगी जिसका कारण ना आपको मालूम पड़ेगा ना ही आपके डॉक्टर को
और पंडित जी ऐसे सामान के प्रयोग से बीमार पढ़ेंगे क्योंकि वह दिन में दो बार किसी न किसी जगह पूजन करवाने जाते हैं। यह क्या हो रहा है वह भी भगवान के नाम पर सभी जगह नकली कचरा युक्त केमिकल युक्त सामग्रियां मिल रही हैं अधितर दुकानों पर तेल निकली जड़ी बूटियां मिली जो वेस्ट मटेरियल था मतलब फेंकने वाला , ऐसी सामग्रियो से क्या प्राप्त होगा दुकानदार से खरीददार तक सभी लोग बीमारियों से बेखबर हैं धर्म के नाम पर ही अधर्म हो रहा है।
आज पूरे विश्व में पर्यावरण की स्थिति हमारे देश की चिंता जनक है विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रदूषण के नाम पर इमरजेंसी घोषित कर चुका है। हमारे देश में प्रदूषण बढ़ रहा है वनस्पतियां कम हो रही है साथ ही गलत सामग्रियों के उपयोग से हम घर के अंदर भी प्रदूषण फैला रहे हैं पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ मानसिक प्रदूषण भी फैल रहा है। इसलिए
हवन – पूजन सामग्री में सावधानी जरुरी है।

हवन और यज्ञ का महत्व सभी जानते हैं l आध्यात्मिक, घर – परिवार, धन, सुख व स्वास्थ्य लाभ के लिए जप व हवन आदि करते रहते हैं।
हवन के बाद साँस में तकलीफ, आंख में तकलीफ और त्वचा रोग भी हो रहे हैं। ऐसा बाज़ार में बिक रही नकली हवन और पूजन सामग्री के कारण भी हो रहा है। हवन में कई सामग्रियां स्वयं हवनकर्ता को जुटानी पड़ती हैं। पहले लोग हवन सामग्री जंगल, बाग़ – बगीचों व अपने गाँव से ही एकत्र करते थे पर अब इस शहरी युग में हर चीज़ मिलने का एक स्थान बाज़ार ही है।
बाजार में मिलने वाले अधिकांश हवन सामग्री पैकेटों में लकड़ी का बुरादा, झाड़ू का बुरादा, कागज और कूड़ा – करकट की मात्रा अधिक मिलेगी। साथ ही गाजर घास के अंश जो सब जगह आसानी से मिल जाती है और टीबी ,दमा खांसी,नेत्र रोगों, एलर्जी, को जन्म देती है। ऐसी हवन सामग्री से हवन कर क्या लाभ होगा। आपकी श्रद्धा से जब आप कुड़े से हवन करेंगे और देवता कूड़ा ग्रहण करेंगे तो प्रतिफल क्या होगा आप खुद समझ सकते हैं। ऐसे में लोग भारतीय पूजा पद्धति मंत्र, तंत्र, यंत्र ,ज्योतिष सब पर प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं। इसी तरह अच्छा घी 800 रुपए किलो से उपर बिक रहा है वहीँ बाजार में हवन के लिए घी चाहिए तुरंत दुकानदार 150₹- 200 रुपए किलो का पेकेट दिखा देगा। उसपर कहीं न कहीं लिखा मिल जायेगा की “नोट फॉर इंटरनल यूज़ या ह्यूमन यूज़ या नॉन एडिबल।” क्योंकि उनमे पेट्रोलियम जेली और पशुओं की चर्बी होती है घी की बस खुशबु होती है। अब ऐसे घी से हवन कर आप क्या लाभ लेंगे? हवन का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है गुग्गुल। शुद्ध गुग्गुल क्वालिटी अनुसार 3500 रूपये प्रति किलो तक मिलता है वहीं आज अधिकतर पंसारियों के पास 700 से 1000 रूपये किलो में मिल रहा है। मुनाफाखोर बड़ी मात्रा में नकली गूगल तैयार करवाते हैं। इसके लिए विदेशों से मिलने वाले रेजिन नामक केमिकल रसायन का उपयोग किया जाता है। इस केमिकल में समुद्र की गरम रेत, रंग और खुशबू मिलाते हैं। इसे मशीन से टुकड़ों में तोड़ा जाता है। जब हवनकुंड में इसे डाला जाता है तो केमिकल चूंकि ज्वलनशील होता है तो वो जल जाता है और रेत व अन्य चीजें बाकी सामग्रियों के साथ मिल जाती हैं। यही वजह है कि हवन के दौरान गुग्गुल की जो ह्रदय तृप्त करने वाली विशेष सुगंध वाला धुआं आना चाहिए, वैसा नहीं आता, बल्कि इससे छींक, सिर चकराना, चक्कर आना जैसी शिकायतें हो जाती हैं।
अगर बत्ती और धुप बत्ती का मुद्दा तो पुराना हो गया है। अगरबत्ती में जहाँ खुशबूदार बुरादा बांस की डंडी में चिपका होता है वहीँ धूप बत्ती में मोबिल आयल का कचरा, नकली तेलों के ड्रमों के पेंदे में जमा गंदगी और खुशबु दर बुरादा रहता है। ऐसी चीजों की खुशबु से देवता प्रसन्न नहीं होंगे।इसके अलावा धार यानि सूखे फलों के चूर्ण के नाम पर सड़े सूखे फलों का चूर्ण मिलता है । अशुद्ध हवन सामग्री एवं अनुचित मात्रा सर्वथा त्याज्य है।
वहीँ अब रेडीमेड पैकेट आ रहे हैं ऐसी मान्यता है की ये मात्रा सही न होने पर यज्ञ करने वाला और यजमान दोनों ही गंभीर रोगों के शिकार बनते हैं। शहद में शीरा मिला होता है। चन्दन की लकड़ी और बुरादे के नाम पर नकली एसेंस डाल कर चन्दन के साथ भिगो कर लकड़ियाँ बिकती हैं । अब किसमे कितना और क्या होगा भगवान ही जाने? कपूर की आजकल टिक्की मिलती है वह आरती ख़तम दीपक शांत पर टिक्की सलामत बची रहती है। असली कपूर की पहचान ही यही थी कि खुला रखा हो तो हवा में उड़ जायेगा और जलेगा तो जलने के बाद कुछ शेष नहीं बचता था। वो कपूर लोग सर में लगाते थे , पेट ठीक ने होने पर एक चुटकी फांक लेते थे ,दांत दर्द में दांत के निचे दबाते थे। पर इस पैकेट वाले कपूर में लिखा होता है “नॉन एडिबल या नॉट फॉर इंटरनल यूज़। केसर की मिलावट के बारे में तो जितना कहें कम है। रोली भी सिंथेटिक आ रही है रंग मिली और सिंदूर भी। आज सुबह तिलक करो तो परसों तक माथे पे निशान बना रहे ऐसी। इतनी पक्की।कलावा भी कच्चे सूत की जगह सिंथेटिक धागे और पक्के सूत का आने लगा है। कमलगट्टा जैसी चीज़ भी अब नकली आने लगी है तो लक्ष्मी माता कहाँ से प्रसन्न हों।
जटामांसी भी नकली आती है उसके जैसी दिखने वाली अन्यथा किसी भी पौधे के चूर्ण में एसेंस डालकर जटामांसी चूर्ण के नाम पर बिकता है।तिल का तेल और हल्दी भी मिलावट युक्त आ रही है । अतः आपसे अनुरोध है की किसी भी प्रकार की पूजन और हवन सामग्री किसी भरोसे के स्थान से खरीदें या स्वयं एकत्र करें। ये महंगी अवश्य होगी पर इसके इस्तेमाल के बाद आपको इनका असर भी नज़र आयेगा। अन्यथा नकली कूड़ा करकट केमिकल एसेंस मिली पूजन हवं सामग्री के इस्तेमाल से न सिर्फ आपके धन का नुकसान होगा बल्कि आपकी श्रद्धा और विश्वास को चोट लगेगी।